happy mothers day
➤ आयना के
मैरिज हुए सात साल हो गए थे । वैसे तो घर में कोई प्रॉब्लम नही थी । लेकिन आयना और
अर्णव के विचारों जमी और आसमान का फर्क था । दोनों परिवार के बीच का विचार ● वर्तन * मान्यताये सब कुछ
अलग था ।आयना आधुनिक आजकल की लड़की है उसके घर में लड़के और लड़की का भेदभाव
नही था ।पर उसके ससुराल में थोड़ा अलग माहौल था । लड़की के लिए कुछ नियम थे । अर्णव
भी उसमे अपवाद नही था । उसका पता तो उससे शादी के बाद ही चला था । क्योंकि मैरिज
से पहले मिलना नही हुआ था । सब कुछ जल्दी में हो गया तो आयना को अर्णव के बारे में
ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई थी । फिरभी मैरीज के बाद जो भी हालात उसके सामने आये
वो उसने हँसे के स्वीकार लिए ।
अर्णव
बोले इतने साल बाद फिर घर में राजकुँवर आयेगे तो घर हराभरा हो जायेगा । आयना हँस
के सहजता से बोली ने राजकुमारी आई तो ,,,,,? राजकुँवर
ज आएंगे ऐसी कोई पक्का थोड़ी है ,,,,?
" हम पक्का कर लेंगे "
" मतलब ? आयना शोक
हो गई मतलब ऐसे की मेरी फ्रेंड डॉक्टर है । हम अगले वीक को ही उसके पास जायेंगे और
.चेक उप करवा लेंगे ।और बेटा होगा तो ? आयना बोली
उसके आवाज में एक कंप था ।तो क्या ? अबोशन
उसके देर कितनी ? अपने परिवार में पहले बेटा ही चाहिए । लड़की की जंजत हमको
चाहिए ही नहीं । दूसरी बार लड़का होगा तो देखेंगे । मुझे तो लड़का ही चाहिए ।सॉरी
मम्मी में उसके नही मानती मेरे दिल में तो लड़का हो या लड़की सब समान ही है ।
" तेरे दिल
में जो भी हो " इस घर में रीतिरिवाज से होगा । इस बात पे कोई नियम नही होता
..?
आयना ने
भी इसबार मन मक्कम बना लिया था । इतने समय से वो अकेली ही सब बात का समाधान
करती आ रही थी । अब ये बात में वो समाधान नही करेगी ।
उसके बालक को लड़की होने के कारण मरने नहीं देगी । और आयना के मुख से कुछ ऐसे शब्द निकल पड़े ।वो भी किसी की लड़की है ना ! सास भी किसी की बेटी नहीं है ? वो क्यों ऐसा सोचते होंगे ,,,,! बेटियां इतनी ना पसंद क्यों होती है ?
और सासु और पति के कितना समजाने के बाद
भी किसी से नहीं समझी । सासु आपको नही समज आता तो में मायके चली जाउगी । हमेशा के
लिए ये घर छोड़ ने लिए तैयार हूं । लेकिन इस बात के लिए में किसी का भी मान नही
रखूंगी । अच्छे नसीब से आयना घर छोड़ के जाय ये ये कबुल नहीं था । और आयना के जिद
के आगे सब कमजोर थे । सासु ने बेटे का ही जन्म हो इसलिए कई मनकामनाएं रखी थी ।
उसमें कोई ज्योतिष ने कहा था । के बहु के पेट में लड़का ही है तब से सासु शांत हो
गए थे । और आनन्दित हो के बेटे के राह देख रहे थे । लेकिन आयना ने लड़की को जन्म
दिया तो सबके चेहरे पे 12 बजे हुए थे । लेकिन आयना ने अपनी बेटी को दिल
के प्रेम से वेलकम किया था ।बेटा तेरे पास कोई हो ना हो पर में तेरी माँ तो हु ।
मन में ही सब सब ने सोचा था कि अब लड़के
का ही जन्म होगा । ऐसी आस लेके बैठे थे । लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था । एक
दिन अर्णव को पहली बार ही हार्ट अटैक आया कोई कुछ करे उसे पहले ही उसकी मौत हो गई
। आयना को शोक लगा । ये शोक भुला नहीं पायी आयना को उसके सास ने उससे घर से
निकाल दिया । आयना जब अपने मायके आई तो ये शब्द उसके होठो से सरक पड़े । अच्छे नसीब
से उसने बी एड करने के कारण उसको स्कूल में नोकरी मिल गई । आयना का जीवन चलने लगा
। तभी समाज के एक सीमन्त ने घर में से आयना के लिए सामने से शादी का प्रताव
लेके आये । थोड़ी मना करने के बाद आयना ने हां बोल दिया । उस आस पे की उसकी बेटी को
पिता का स्नेह मिलेगा । लड़की अभी पाँच साल की थी । विनीत भी उसकी तरह डिवोर्स थे ।
विनीत को एक चार साल का बेटा था । तो आयना को पाँच साल की बेटी थी दोनों शिक्षित
थे । आयना देखाव अति सुंदर था । उससे ही उसने उसके साथ डिवोर्स होते हुए भी शादी
का प्रस्ताव रखा था। वरना पैसे के कारण उसको कोई लड़की मिल सकती थी । दोनों की
मुलाक़ात हुई । आयना ख़ास तो बेटी को पिता का प्रेम
मिल सके
उसके लिए ही सहमत हुई । लेकिन विनीत की शर्तें सुनकर स्तब्ध रह गई । आयना में तुजे
स्वीकारने के लिए तैयार हूं लेकिन किसी की लड़की को नहीं । उसको आप अपने घर या
अच्छे बोर्डिंग स्कूल में छोड़ के आ सकते हो । में उसका खर्च देने को तैयार हूं
उसमे मुझे कोई दिक्कत नहीं है ।
लेकिन
विनीत आपको भी एक बेटा है !
उसका क्या ? क्या उसका
क्या मतलब ?
मतलब यही की उसको कोई बोर्डिंग स्कूल
में छोड़ आओ ? क्यों उसको क्यों छोड़ आवु । उसका पिता
अभी जिन्दा है । तो मेरी बेटी भी अनाथ नहीं है मिस्टर विनीत
उसकी माँ भी जिन्दा है । मुझे आपकी शर्ते मंजूर नही विनीत में आपके बेटे को अपना
सकू आप मेरी बेटी को क्यों नही । आप पुरुष है और में स्त्री हु इसलिए ?सोरी
विनीत मुझे ये शर्ते और सम्बन्ध कुछ भी मंजूर नही । इतना बोलके आयना फटाक से खड़ी
हो के चलने लगी ।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ।
अस्तु जय हिन्द ।
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