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Sunday, 12 May 2019

poem on mother


                                                                                                                                              
                             
                                     


                                      happy mothers day 













  आयना के मैरिज हुए सात साल हो गए थे । वैसे तो घर में कोई प्रॉब्लम नही थी । लेकिन आयना और अर्णव के विचारों जमी और आसमान का फर्क था । दोनों परिवार के बीच का विचार वर्तन *  मान्यताये  सब कुछ अलग था ।आयना आधुनिक आजकल की लड़की  है उसके घर में लड़के और लड़की का भेदभाव नही था ।पर उसके ससुराल में थोड़ा अलग माहौल था । लड़की के लिए कुछ नियम थे । अर्णव भी उसमे अपवाद नही था । उसका पता तो उससे शादी के बाद ही चला था । क्योंकि मैरिज से पहले मिलना नही हुआ था । सब कुछ जल्दी में हो गया तो आयना को अर्णव के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई थी । फिरभी मैरीज के बाद जो भी हालात उसके सामने आये वो उसने हँसे के स्वीकार लिए ।
 अर्णव बोले इतने साल बाद फिर घर में राजकुँवर आयेगे तो घर हराभरा हो जायेगा ।  आयना हँस के सहजता से बोली ने राजकुमारी आई तो ,,,,,? राजकुँवर ज आएंगे ऐसी कोई पक्का थोड़ी है ,,,,?
                " हम पक्का कर लेंगे "  " मतलब ?  आयना शोक हो गई मतलब ऐसे की मेरी फ्रेंड डॉक्टर है । हम अगले वीक को ही उसके पास जायेंगे और .चेक उप करवा लेंगे ।और बेटा होगा तो ?  आयना बोली उसके आवाज में एक कंप था ।तो क्या ? अबोशन उसके देर कितनी ? अपने परिवार में पहले बेटा ही चाहिए । लड़की की जंजत हमको चाहिए ही नहीं । दूसरी बार लड़का होगा तो देखेंगे । मुझे तो लड़का ही चाहिए ।सॉरी मम्मी में उसके नही मानती मेरे दिल में तो लड़का हो या लड़की सब समान ही है ।
" तेरे दिल में जो भी हो " इस घर में रीतिरिवाज से होगा । इस बात पे कोई नियम नही होता ..
     आयना ने भी इसबार मन मक्कम  बना लिया था । इतने समय से वो अकेली ही सब बात का समाधान  करती आ रही थी । अब ये बात में वो  समाधान नही करेगी ।  


                 
उसके बालक को लड़की होने के कारण  मरने नहीं देगी । और आयना के मुख से कुछ ऐसे शब्द निकल पड़े ।वो भी किसी की लड़की है ना ! सास भी किसी की बेटी नहीं है ? वो क्यों ऐसा सोचते होंगे ,,,,! बेटियां इतनी ना पसंद क्यों होती है ?
और सासु और पति के कितना समजाने के बाद भी किसी से नहीं समझी । सासु आपको नही समज आता तो में मायके चली जाउगी । हमेशा के लिए ये घर छोड़ ने लिए तैयार हूं । लेकिन इस बात के लिए में किसी का भी मान नही रखूंगी । अच्छे नसीब से आयना घर छोड़ के जाय ये ये कबुल नहीं था । और आयना के जिद के आगे सब कमजोर थे । सासु ने बेटे का ही जन्म हो इसलिए कई मनकामनाएं रखी थी । उसमें कोई ज्योतिष ने कहा था । के बहु के पेट में लड़का ही है तब से सासु शांत हो गए थे । और आनन्दित हो के बेटे के राह देख रहे थे । लेकिन आयना ने लड़की को जन्म दिया तो सबके चेहरे पे 12 बजे हुए थे । लेकिन आयना ने अपनी बेटी को दिल के प्रेम से वेलकम किया था ।बेटा तेरे पास कोई हो ना हो पर में तेरी माँ तो हु । 
                 मन में ही सब सब ने सोचा था कि अब लड़के का ही जन्म होगा । ऐसी आस लेके बैठे थे । लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था । एक दिन अर्णव को पहली बार ही हार्ट अटैक आया कोई कुछ करे उसे पहले ही उसकी मौत हो गई ।  आयना को शोक लगा । ये शोक भुला नहीं पायी आयना को उसके सास ने उससे घर से निकाल दिया । आयना जब अपने मायके आई तो ये शब्द उसके होठो से सरक पड़े । अच्छे नसीब से उसने बी एड करने के कारण उसको स्कूल में नोकरी मिल गई । आयना का जीवन चलने लगा ।  तभी समाज के एक सीमन्त ने घर में से आयना के लिए सामने से शादी का प्रताव लेके आये । थोड़ी मना करने के बाद आयना ने हां बोल दिया । उस आस पे की उसकी बेटी को पिता का स्नेह मिलेगा । लड़की अभी पाँच साल की थी । विनीत भी उसकी तरह डिवोर्स थे । विनीत को एक चार साल का बेटा था । तो आयना को पाँच साल की बेटी थी दोनों शिक्षित थे । आयना देखाव अति सुंदर था । उससे ही उसने उसके साथ डिवोर्स होते हुए भी शादी का प्रस्ताव रखा था।  वरना पैसे के कारण उसको कोई लड़की मिल सकती थी । दोनों की मुलाक़ात हुई । आयना ख़ास तो बेटी को पिता का प्रेम
 मिल सके उसके लिए ही सहमत हुई । लेकिन विनीत की शर्तें सुनकर स्तब्ध रह गई । आयना में तुजे स्वीकारने के लिए तैयार हूं लेकिन किसी की लड़की को नहीं । उसको आप अपने घर या अच्छे बोर्डिंग स्कूल में छोड़ के आ सकते हो । में उसका खर्च देने को तैयार हूं उसमे मुझे कोई दिक्कत नहीं है । 
 लेकिन विनीत आपको भी एक बेटा है ! 
उसका क्या ? क्या उसका क्या मतलब

                मतलब यही की उसको कोई बोर्डिंग स्कूल में छोड़ आओ ?   क्यों उसको क्यों छोड़ आवु । उसका पिता अभी जिन्दा है ।  तो मेरी बेटी भी अनाथ नहीं है मिस्टर विनीत उसकी माँ भी जिन्दा है । मुझे आपकी शर्ते मंजूर नही विनीत में आपके बेटे को अपना सकू आप मेरी बेटी को क्यों नही । आप पुरुष है और में स्त्री हु इसलिए ?सोरी विनीत मुझे ये शर्ते और सम्बन्ध कुछ भी मंजूर नही । इतना बोलके आयना फटाक से खड़ी हो के चलने लगी । 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ । 


अस्तु जय हिन्द ।      


    





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